Guzre Lamhe
मैं नफरतों के साये में
दिन रात घिरा सा रहता हूँ
नफरत ही बची हैं इस जग में
मैं आज सभी से कहता हूँ l
अनजान हुवा करते थे जो
बेजान हुआ करते थे जो
मैं दर्द बनकर रगों में उनकी
दिन रात यूँ ही अब बहता हूँ l
मुझे छोड कर, दिल तोड़ कर
वो कैसे खुश रह लेते हैँ
और कैसे उनको बतलाऊँ
ये तन्हाई कैसे सेहता हूँ l
हर इक इन्सान बेवफा निकला
मुझको कोई अरमान नहीं
"सैफी" उनकी बेवफाई में
हर पल तड़पता रहता हूँ l
سیفی
Jyada mat tadap
ReplyDeleteBehtreen bhai 👌👌👌👌
ReplyDeleteGood effort keep it up
ReplyDeleteFor you new carrier
ReplyDeleteTension mt lo janab sab shi hoga
ReplyDeleteIt's my new job.
DeleteBeautiful bus kuch kami h
ReplyDeleteगुजरे हुए लम्हों को याद ना किया करो वह तो हर पल तड़पाते हैं
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